
शनिवार को X पर उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक ट्वीट ने ऐसा बवाल मचाया, जैसे किसी ने पुराने रेडियो पर अचानक ब्लास्ट बजा दिया हो।
किंडरगार्टन में नैपी बदली है या नहीं, ये भी एक परीक्षा है!
सपा मीडिया सेल द्वारा किया गया ट्वीट, जिसमें उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के DNA और उनकी दिवंगत मां को लेकर बेहद आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग हुआ, अब गंभीर कानूनी और राजनीतिक विवाद का विषय बन चुका है।
डिप्टी CM बोले – “इतनी गिरी हुई राजनीति? मां को भी नहीं छोड़ा!”
ब्रजेश पाठक ने इस ट्वीट को लेकर सपा पर खुला हमला बोला और सीधे-सीधे अखिलेश यादव से जवाब माँगा। मामला जब DNA से Dignity पर आ गया, तो BJP कार्यकर्ताओं ने लखनऊ के हजरतगंज में अखिलेश यादव का पुतला फूंक दिया।
FIR में लगाए गए गंभीर आरोप:
भाजपा महानगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी की तहरीर के अनुसार:
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ट्वीट से महिला विरोधी मानसिकता झलकती है
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जातीय विद्वेष फैलाने की कोशिश की गई
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समाज में विघटन और शांति भंग करने की साजिश है
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ट्वीट ने दिवंगत परिजन को घसीटकर मानवता की सीमाएं लांघ दीं
कौन-कौन सी धाराएं लगीं सपा मीडिया सेल पर?
FIR में दर्ज धाराएं हैं:
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352: हमला या आपराधिक बल
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353(2): लोकसेवक को डराने की कोशिश
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356(2), 356(3): विद्वेष फैलाने से संबंधित उपधाराएं
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आईटी एक्ट की धारा 67: अश्लील/आपत्तिजनक सामग्री का प्रकाशन
अब अगर मीडिया सेल को “सेल बंद” कर दिया जाए, तो हैरानी नहीं होगी!
जहां थ्रेड नहीं, थ्रेट मिलते हैं!
अब सोशल मीडिया हैंडल एक हथियार बन चुका है – जहां पोस्ट का मतलब पोल खोल और रिट्वीट का मतलब रोडशो होता है।
भाजपा की ओर से सवाल साफ हैं –
“अगर एक डिप्टी सीएम की मां पर ऐसी टिप्पणी की जा सकती है, तो आम जनता की गरिमा का क्या होगा?”
‘DNA Test’ नहीं, अब ‘Dignity Test’ चाहिए राजनीति में!
सियासी कटाक्ष, व्यंग्य और विरोध का हक सभी को है, पर जब राजनीति व्यक्तिगत मर्यादाओं को लांघती है, तो लोकतंत्र की नींव हिलने लगती है।
सवाल सिर्फ इस ट्वीट का नहीं, सोशल मीडिया की ‘असभ्यता संस्कृति’ का है। क्या अब पार्टियों को मीडिया सेल नहीं, “मर्यादा सेल” बनानी चाहिए?
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